Osho quotes on death in Hindi

Osho quotes on death in Hindi

ओशो एक महान संत, आध्यात्मिक गुरु और विचारशील व्यक्ति थे जिन्होंने व्यापक रूप से जीवन और मृत्यु के विषय में विचार किया। ओशो की दृष्टि में, मृत्यु एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और यह सभी जीवों के लिए अवश्य होने वाली है। इसलिए, ओशो ने अपने शिष्यों को मृत्यु को स्वीकार करने और उसे स्वाभाविक रूप से अपनाने की सलाह दी।
ओशो के अनुसार, मृत्यु सिर्फ एक शरीर की मौत होती है, जबकि आत्मा अमर होती है। इसलिए, जब हम मरने के बारे में सोचते हैं, तो हमें आत्मा की महत्वपूर्णता को समझना चाहिए। ओशो कहते हैं कि आत्मा अविनाशी है और सिर्फ शरीर के साथ ही नहीं चली जाती है।
ओशो ने मृत्यु को एक संघर्ष नहीं, बल्कि एक आरामदायक समय माना है जहां आत्मा शरीर से अलग होकर एक नया अवसर प्राप्त करती है। उनके अनुसार, जब शरीर मर जाता है, तो आत्मा नये शरीर को प्रवेश करने के लिए तत्पर रहती है। इसलिए, मृत्यु को एक स्वयंसेवक अवसर के रूप में देखना चाहिए, जिसमें आत्मा नये अनुभवों के लिए तैयार होती है।
ओशो के अनुसार, जीवन और मृत्यु एक अद्वितीय सम्मिलन हैं, जहां एक के द्वारा दूसरे को पूरक बनाया जाता है। वह कहते हैं कि जीवन और मृत्यु दोनों ही अनन्त सत्य हैं और हमें उन्हें स्वीकार करना चाहिए। ओशो के अनुसार, मृत्यु एक समाप्ति नहीं है, बल्कि नए जन्मों की शुरुआत है।
मृत्यु पर ओशो के विचार –ओशो ने मृत्यु को एक प्राकृतिक प्रक्रिया के रूप में स्वीकार किया है और इसे एक नए अवसर के रूप में देखने की सलाह दी है। उनके अनुसार, मृत्यु का भय दूर करने के लिए हमें आत्मा की महत्वपूर्णता को समझना चाहिए और यह ज्ञान हमें जीवन में अधिक आनंद और समृद्धि प्रदान कर सकता है।

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Osho quotes on death in Hindi

जीवन को केवल वही जी सकता है ,जिसके सामने से मृत्यु की छाया विदा और विलीन हो गयी है!

मृत्यु हमारी ही छाया है ,और अगर हम उससे भागते रहे तो हम उसके सामने कभी भी जीत नहीं सकते है!

धर्म है जीवन और मृत्यु है कला !

जब तक मृत्यु का भय है ,तब तक जीवन कभी सत्य नहीं हो सकता है !

मृत्यु शब्द एक नितांत असत्य है! मृत्यु जैसी घटना मनुष्य के साथ कभी भी नहीं घटती है !

यदि जीवन सत्य है,तो मृत्यु सत्य नहीं हो सकती है,और अगर मृत्यु सत्य है ,तो जीवन सिर्फ एक सपना होगा-एक झूठ!ये दोनों बातें एक साथ होनी असंभव है !

जन्म और मृत्यु सिर्फ वाहन बदलने स्थान है ,जहां पुराना वाहन छोड़ दिया जाता है!थके घोड़े छोड़ दिये जाते है और ताजे घोड़े ले लिए जाते है !

समाधि अपने हाथ से मृत्यु को निमंत्रण है !

मृत्यु से जब तक आप भागेंगे ,तब तक आप मृत्यु से हारते रहेंगे !जिस दिन खड़े होकर मृत्यु के आमने-सामने हो जाएंगे!उसी दिन मौत विदा हो जाएगी ।आप शेष रह जाएंगे !

एक बार जो मृत्यु के दर्शन कर लेता है ,वह मृत्यु से मुक्त हो जाता है !

मृत्यु से न तो मुक्त होना है,न मृत्यु को जितना है!मृत्यु को जानना है!जानना ही मुक्ति बन जाती है,जानना हो जीत बन जाती है!

ज्ञान शक्ति है,ज्ञान मुक्ति है,ज्ञान विजय है!मृत्यु का ज्ञान मृत्यु को विलीन कर देती है!!

जो स्वेच्छा से मृत्यु मे प्रवेश करता है वह अनायास ही जीवन मे प्रविष्ट हो जाता है!वह जाता तो है मृत्यु को खोजने ,लेकिन मृत्यु को नहीं पता ,वहाँ परम जीवन को पा लेता है!

जो मृत्यु के भवन से भागता है ,वह जीवन के मंदिर मे नहीं पहुँच पता है!

जो मृत्यु का साक्षात्कार करने जाता है अंततः पाता है कि मृत्यु तो विलीन हो गयी है और जीवन से आलिंगन हो गया है !

श्वास का आना जीवन है ,श्वास का जाना मृत्यु है!

मृत्यु मे शरीर छूट जाते है,भाव छुट जाता है,विचार छूट जाते है,मित्रता छुट जाती है,शत्रुता छुट जाती है,बाहर की दुनिया सब छुट जाता है!रह जाते है सिर्फ अकेले हम,सिर्फ मै रह जाता हूँ,सिर्फ चेतना रह जाती है!

जन्म और मृत्यु एक ही घटना के दो छोड़ हैं!

मृत्यु से ज्यादा सुनिश्चित कुछ भी नहीं है !

मृत्यु का न होना ही जान लेना मृत्यु पर विजय है!

मृत्यु उन शत्रुओं मे से है जो नहीं है,और प्रतीत होता है!

जो मृत्यु से लड़ेगा,वह हर जाएगा!और जो मृत्यु को जान लेगा वह जीत जाएगा!

मृत्यु हमारी ही छाया है ,और अगर हम उससे भागते रहे तो हम उसके सामने कभी भी जीत नहीं सकते है!

जब मै यह कहता हूँ कि मृत्यु से बड़ा कोई सत्य नहीं है,तो मै इस बात कि याद दिलाना चाहता हूँ कि मै,आप ,हम सब मरेंगे!और जब मै ये कहता हूँ कि मृत्यु बिलकुल ही असत्य है,तो मै यह याद दिलाना चाहता हूँ कि “मै“ के भीतर और भी है जो नहीं मरेगा !

मृत्यु भविष्य मे घटित नहीं होगी,मृत्यु प्रतिपल घटित हो रही है!यह पूर्ण होगी भविष्य मे!

जन्म मृत्यु का पहला छोड़ है,मृत्यु अंतिम छोड़ है!

मृत्यु द्वार है जीवन को जानने का!इसीलिए मृत्यु से बचे कि जीवन से भी बचे!

मृत्यु कि घटना मे ही,हम जीवन है,इसका अनुभव हो सकता है!

मृत्यु के प्रयोग मे जागा जा सकता है,लेकिन अनायास मृत्यु मे कोई भी नहीं जाग सकता है!

मृत्यु हमारी ही छाया है ,और अगर हम उससे भागते रहे तो हम उसके सामने कभी भी जीत नहीं सकते है!

मृत्यु नहीं है ऐसा जानते ही मृत्यु से हमारी हार चल रही है बंद हो जाती है!

मृत्यु अज्ञान का अनुभव है ,अमरत्व ज्ञान का अनुभव है !

जीवन कों पहचानने का द्वार ही मृत्यु है!

परम जीवन मे न जन्म है न मृत्यु है,लेकिन परम जीवन के दोनों पैर है,जिनको हम जन्म कहते है और मृत्यु कहते है !

ध्यान मृत्यु का द्वार है!

मृत्यु को गले लगाने वाले मृत्युंजय हो जाता है!

एक जिन्हे मृत्यु खोजती है और एक वे जो मृत्यु को खोजते है! मृत्यु उन्हे खोजती है जो मृत्यु से भागते है, एक वे जो मृत्यु को खोजते है,मृत्यु उनसे भागती फिरती है!

शरीर और चेतना का वियोग है मृत्यु!

ध्यान व समाधि स्वेच्छा से सचेतन मृत्यु की स्थिति मे प्रवेश है!जिससे मृत्यु का भ्रम विसर्जित हो जाता है!

मृत्यु पर संदेह करने का कोई उपाय नहीं है!वह है!जो एकदम सुनिक्ष्चित है!

जो व्यक्ति मृत्यु का प्रयोग करके मरेगा,वह अपने अगले जन्म का भी निर्णायक हो जाएगा!

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