
भगवत गीता के 111 अनमोल विचार-Best Bhagwat Geeta Updesh Quotes
भगवत गीता के 111 विचार (bhagwat geeta ke 111 vichar):-Geeta Updesh Quotes
महाभारत के महत्वपूर्ण अध्याय में स्थित भागवत गीता एक प्रमुख हिंदू धर्म ग्रंथ है। गीता में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेशों का संग्रह है। इसमें मन, ज्ञान, कर्म और भक्ति के विषय में विस्तृत विचार हैं। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को युद्ध करने के लिए प्रेरित किया है और अर्जुन के मन में उठे हुए संदेहों को दूर किया है।भागवत गीता एक प्रेरणादायक ग्रंथ है जो हमें धर्म, नैतिकता, संघर्ष, योग और मुक्ति के विषय में सीख देता है। इसके माध्यम से हम जीवन के विभिन्न पहलुओं का समाधान कर सकते हैं और उच्चतम आदर्शों की ओर प्रगति कर सकते हैं।भागवत गीता में अनेक महत्वपूर्ण अद्याय हैं, जो हमें सामाजिक, मानसिक और आध्यात्मिक जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यह हमें सत्य, न्याय, कर्म, समर्पण और आत्मविश्वास के महत्व को समझाता है।
भागवत गीता का महत्वपूर्ण सन्देश है कि हमें आत्मा में विश्वास रखना चाहिए और निर्भयता से अपने कर्मों का पालन करना चाहिए। यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुष्टि, शांति और प्रगति प्रदान करता है।भागवत गीता हमें एक उज्ज्वल, सच्चा और सामर्थ्यपूर्ण जीवन की ओर प्रेरित करता है। इसे समझने और अपनाने से हम संतुष्ट,समर्पित और स्वयंसेवक बनते हैं। इसे पढ़कर हम अपने जीवन में सुख, सफलता और आध्यात्मिक प्रगति की प्राप्ति कर सकते हैं।
भगवत गीता के 111 विचार:-Geeta Updesh Quotes

कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
जीवन में सत्य,ध्यान और त्याग को अपनाओ।
जीवन का अर्थ अपने कर्मों में खोजो।
जीवन में उच्चता को प्राप्त करने के लिए स्वयं को परिश्रम से समर्पित करो।
भगवान को अपना सबसे अच्छा मित्र बनाओ।
अहंकार को छोड़कर निष्काम कर्म करो।
संयम और तपस्या द्वारा अपने मन को शांत करो।
भगवत गीता के 111 विचार:-
ईश्वर के प्रति आस्था रखो और उसकी आदर्शों का पालन करो।
विचारों को शुद्ध रखो और जीवन को प्रेम से जियो।
संघर्ष में हार न मानो, धैर्य रखो और सदैव संघर्ष करो।
मानव शरीर को केवल एक वस्त्र की तरह समझो और आत्मा को अमर है जानो।
सबको समान दृष्टि से देखो और स्नेहपूर्वक सभी की सहायता करो।
आपात स्थितियों में भी शांति और समता बनाए रखो।
संकट के समय में भगवान की शरण में जाओ और उनसे सहायता मांगो।
जीवन की अस्थायी बातों के लिए चिंता न करो, स्थिरता में रहो।
किसी के प्रति श्रद्धा और सम्मान बनाए रखो।
दूसरों को न्यायपूर्वक व्यवहार करो और दयालु बनो।
मोह को छोड़कर तथा स्वयं को उदासीन रखकर कर्म करो।
अपने कर्मों को भगवान की अर्पण करो और निर्भय रहो।
जीवन की समस्याओं के बीच में भी आनंद और समता बनाए रखो।
अपनी इच्छाओं को संयमित रखो और वाणी को शुद्ध बनाओ।
आत्मनिरीक्षण करो और अपने दोषों को सुधारो।
धर्म के मार्ग पर चलो और धर्म का पालन करो।
अपने कर्मों के लिए स्वयं को जिम्मेदार जानो, परिणामों के लिए नहीं।
दूसरों के अहंकार को छोड़कर अपने मन को नियंत्रित करो।
जीवन के मार्ग पर निरंतर चलने की प्रेरणा बनाए रखो।
जीवन को भगवान की आराधना के रूप में जियो।
अपनी वाणी को सत्य और उपयुक्त बनाओ।
दूसरों के लिए नेक कर्म करो और सदैव शांति बनाए रखो।
शुभचिंतक की भूमिका में न हों, तुम खुद ही अपने जीवन का निर्माण करो।
भगवान की कृपा का आदान करो और अपने कर्मों को निष्पाप रखो।
भगवान की आदर्श जीवन शैली का अनुसरण करो और उसके गुणों का पालन करो।
आपात स्थिति में शांति और समता बनाए रखो और बुराई से दूर रहो।
अपनी आस्था को मजबूत रखो और ईश्वर में विश्वास रखो।
सभी प्राणियों के प्रति सम्मान और करुणा बनाए रखो।
अपनी इच्छाओं को वश में रखो और नियमितता के साथ साधना करो।
अपने वचनों को पूरा करो और सत्य रहो।
आत्मा के अनंतत्व में विश्वास रखो और मोह से दूर रहो।
जीवन में संतुष्ट रहो और मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहो।
अपने कर्मों की प्राथमिकता को बनाए रखो और भगवान के प्रति भक्ति रखो।
दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान बनाए रखो।
आत्मा में शांति और आनंद का अनुभव करो।
अनिष्ट से प्रभावित न हों, जीवन में स्थिर रहो और कर्म में निरन्तर लगे रहो।
जीवन के कठिनाईयों में भी आत्मविश्वास बनाए रखो और संघर्ष करो।
भगवान के प्रति श्रद्धा रखो और अपने मन को पवित्र बनाओ।
कर्मयोग के माध्यम से अपनी आत्मा को मुक्त करो।
संघर्ष में भी धैर्य और समता बनाए रखो।
कर्म में लगे रहो, फलों की चिंता न करो।
जीवन के मार्ग पर स्थिर रहो और भगवान की आराधना करो।
स्वयं को परिश्रम से समर्पित करो और अपने कर्मों को निष्पाप रखो।
अपने मन को नियंत्रित करो और स्थिरता में रहो।
अपने कर्मों में स्वयं को लीप दो और उच्चता को प्राप्त करो।
धैर्य और समता के साथ सभी परिस्थितियों में शांति बनाए रखो।
अपने मन को शुद्ध रखो और ईश्वर की प्रीति को प्राप्त करो।
अपने आप को स्वयं को न तारीफ करो और निर्ममता से अपने कर्मों को करो।
जीवन के सभी क्षणों में स्नेह और सद्भाव बनाए रखो।
दूसरों के लिए न्यायपूर्वक और निःस्वार्थ कर्म करो।
अपनी इच्छाओं को संयमित रखो और आपने धर्म का पालन करो।
भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखो और आत्मा की पहचान करो।
अपने दोषों को स्वीकार करो और सुधार के लिए प्रयास करो।
जीवन को ध्यान और अभ्यास के द्वारा बदलें और आत्म-संयम प्राप्त करें।
भगवान के प्रति श्रद्धा रखो और अपने मन को पवित्र रखो।
स्वयं को स्नेहपूर्वक और सद्भावपूर्वक दूसरों की सहायता करो।
दूसरों के गुणों को पहचानो और उनकी आदर करो।
संकट के समय में भगवान की शरण में जाओ और आश्रय लो।
आत्मा की पहचान करो और अपने आप में स्थिरता प्राप्त करो।
भगवान के प्रति आस्था रखो और अपने मन को पवित्र बनाओ।
जीवन को प्रेम से जियो और अपने कर्मों में समर्पित रहो।
अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करो और मन को शांत रखो।
आत्म-विश्वास और आत्म-सम्मान को बनाए रखो।
जीवन को समर्पित करो और निर्भय रहो।
जीवन के कठिनाईयों में भी धैर्य और शक्ति बनाए रखो।
भगवान के प्रति श्रद्धा और भक्ति रखो और उसके नाम का जप करो।
अपने कर्मों में भगवान की अर्पण करो और निर्भय रहो।
जीवन के अच्छे क्षणों का आनंद उठाओ और बुराई से दूर रहो।
सत्य और उच्चता के पथ पर चलो और संघर्ष में धैर्य बनाए रखो।
आत्म-संयम और अपने कर्मों में समर्पण करो।
सच्चे मित्रों को पहचानो और सदैव उनके साथ आचरण करो।
अपनी भूमिका को समझो और धर्म का पालन करो।
अपने कर्मों को ईश्वर की आराधना के रूप में करो।
सत्य और उपयुक्तता के लिए अपनी वाणी का उपयोग करो।
जीवन के सभी पहलुओं में संतुष्ट रहो और ईश्वर के प्रति आस्था रखो।
जीवन के अस्थायी बातों के लिए चिंता न करो, स्थिरता में रहो।
अपने कर्मों में स्वयं को लीप दो और निर्भय रहो।
भगवान के प्रति निःस्वार्थ प्रेम और आदर रखो।
अपने कर्मों की प्राथमिकता को बनाए रखो और निष्पापता में रहो।
भगवान की प्रत्येक रचना को सम्मान दो और उन्हें निर्मलता से देखो।
अपने मन को सदैव शांत और प्रशांत रखो।
भगवान के प्रति आस्था और श्रद्धा रखो और उनकी सेवा करो।
आत्मा की पहचान करो और अपने आप को शुद्ध बनाओ।
अपने कर्मों में ईश्वर का अर्पण करो और सम्पूर्ण भक्ति रखो।
आत्म-संयम और विचारशक्ति को विकसित करो और शांति रखो।
अपने आप को स्नेहपूर्वक और सद्भावपूर्वक दूसरों की सेवा में लगाओ।
भगवान के आदर्शों को अपनाओ और उनके गुणों की प्रशंसा करो।
जीवन को ध्यान और अभ्यास के द्वारा प्रबंधित करो।
अपने कर्मों को निःस्वार्थ भाव से करो और फलों की आसक्ति छोड़ो।
अपने आप को परिश्रम से समर्पित करो और स्वयं को विकसित करो।
जीवन के मार्ग पर धैर्य बनाए रखो और आत्म-समर्पण करो।
भगवान की प्रति आस्था और श्रद्धा रखो और अपने मन को पवित्र बनाओ।
दूसरों के प्रति सम्मान और सहानुभूति बनाए रखो।
अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करो और मन को शुद्ध रखो।
जैसे आग सोने का परख करती है, मुश्किलें साहसी व्यक्तियों का परख करती हैं।
सफलता दो चाबियों से बंदित होती है: मेहनत और मजबूत इरादा।
पृथ्वी पर, जैसे मौसम बदलते हैं, वैसे ही जीवन में खुशी और दुःख आते जाते रहते हैं।
जो मन को नियंत्रित नहीं करता है, उसके लिए मन अपने दुश्मन की भांति काम करता है।
जो ज्ञान और कर्म को एक मानता है, सचमुच ज्ञानी है।
जो पैदा होता है, उसके लिए मृत्यु निश्चित है और जो मरता है, उसके लिए जन्म निश्चित है।
हमेशा संदेह करने वाले व्यक्ति के लिए इस दुनिया या कहीं भी खुशी नहीं होती है।
यह दुनिया क्रिया का क्षेत्र है और क्रियाएँ न करने से यहाँ कुछ भी प्राप्त नहीं हो सकता।
फलों की इच्छा के बिना क्रिया करने वाला ही अपने जीवन को सफल बनाता है।
ज्ञान और भगवान में विश्वासहीन व्यक्ति सुख और सफलता को प्राप्त नहीं कर सकता।
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