Durga Chalisa lyrics Hindi:

Durga Chalisa lyrics:

दुर्गा चालीसा एक महत्वपूर्ण पाठ है जो भगवती दुर्गा की महत्वपूर्णता और उनके दिव्य गुणों की स्तुति करती है। यह धर्मिक उत्सवों और आध्यात्मिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और व्यक्ति को उनके आंतरिक स्वरूप की पहचान में मदद करती है।
यह एक पवित्र प्रार्थना है ” माँ दुर्गा जगत जननी की “। यह चालीसा माता दुर्गा की दिव्य कृपा और शक्ति की महत्वपूर्ण उपासना है। आइए, “दुर्गा चालीसा” के गहराईयों से जाने, इसके महत्व, और आध्यात्मिक प्रेरणा को खोजते हैं।

दुर्गा चालीसा, मे भगवती दुर्गा की स्तुति करते हैं, जिनका संक्षिप्त वर्णन शक्ति, साहस और सुरक्षा की प्रतीकता को समाहित करता है। प्रत्येक श्लोक उनकी दिव्य गुणों और विशेषताओं को बयां करता है,जो माता श्री की भव्य दर्शन और हमे आंतरिक जागरण की ओर प्रेरित करते हैं।

तो आइए हम सभी मिलकर माता की दिव्य चालीसा का गुणगान करे और उनसे प्रेरणा ले ।

Durga Chalisa Lyrics
Durga Chalisa Lyrics

Durga Chalisa lyrics

Durga Chalisa Lyrics Hindi:

नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ।

निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैली उजियारी ।।

शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ।।

रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ।।

तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ।।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ।।

प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ।।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ।।

रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।।

धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ।।

रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ।।

लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ।।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ।।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ।।

मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ।।

श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।

केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ।।

कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ।।

सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।

नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुंलोक में डंका बाजत ।।

शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ।।

रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संहारा ।।

परी गाढ़ संतन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ।।

अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी ।।

प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ।।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई ।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।।

शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ।।

शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ।।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ।।

मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ।।

आशा तृष्णा निपट सतावें ।
रिपू मुरख मौही डरपावे ।।

शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ।।

करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला ।

जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ।।

दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ।।

देवीदास शरण निज जानी ।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।

।। इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ।।

श्लोकों में दुर्गा के आकर्षक रूप का वर्णन है – उनकी मोहक आंखें, प्रकाशमय किरणें और उनके दिव्य आस्त्र। यह वर्णन भक्तों को उनकी प्रतिष्ठा के साथ संबंध बनाने में मदद करता है।

प्रत्येक श्लोक देवी दुर्गा की एक विशिष्ट दिव्य गुण को पुकारता है, जैसे कि उनकी निडरता, करुणा, और दुर्गामाता की विजय। इन गुणों की उच्चारण करके,भक्त उनके गुणों को प्राप्त करते हैं, आत्मिक विकास को बढ़ावा देते हैं।

चालीसा में दुर्गा की महाकाव्यिक लड़ाइयों की कहानियों का वर्णन है, जो भयानक राक्षसों के पराजय की कहानियां हैं। यह कथा भक्तों को उनके भय और विपत्तियों का साहस करने में मदद करती है।

दुर्गा चालीसा को श्रद्धापूर्वक पाठ करने से भगवती की कृपा प्राप्त होने का माना जाता है। श्लोकों की तालबद्ध कदंब आत्मा के साथ गहरा संबंध बनाने की अनुमति देता है।

आज की तेजी से भरी दुनिया में, दुर्गा चालीसा एक अखंड आत्मा के लिए स्रोत है। जैसे ही व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करते हैं, यह गीत आध्यात्मिक , आंतरिक शांति और प्रतिरुद्धता की पोषण करती है।

वे भक्त जो दुर्गा चालीसा श्रद्धा के साथ प्रस्तुत करते हैं, वे दिव्य माता के साथ गहरे संबंध को महसूस करते हैं। चालीसा एक उपकरण बनती है जो संबल, मार्गदर्शन, और शक्ति की तलाश में मदद करता है।

दुर्गा चालीसा की मंत्रणा स्वात्मा को ऊंचाई पर ले जाती है और दिव्य के साथ एक गहरा संबंध बनाती है। यह आत्मिक विकास को बढ़ावा देता है, व्यक्तियों को उनकी सीमाओं को पार करने की क्षमता प्रदान करता है।

चालीसा के श्लोक विश्वासी को सीधे सामना करने के लिए प्रेरित करते हैं, जैसे मानो देवी दुर्गा ने राक्षसों पर विजय की । यह बात यकीन दिलाता है कि विपत्तियों का समाधान किया जा सकता है।

Durga Chalisa lyrics महिला ऊर्जा का महत्व मानती है, जिसमें शक्ति, करुणा, और पोषण के गुण शामिल हैं। यह यौनिक संतुलन की महत्वपूर्णता की याद दिलाती है जो ब्रह्मांड में है।

चालीसा की तालबद्ध मंत्रणा आत्मा के साथ गूंजने वाली ध्वनि बनाती है। यह आंतरिक उद्घाटन और जागरण की ओर एक परिवर्तनात्मक यात्रा है। चालीसा के श्लोकों में दिव्य माता की बहुपहलू प्राकृतिक प्रेम और सुरक्षा को समय समय पर महसूस करने की अनुमति देते हैं।

Durga Chalisa Lyrics के माध्यम से भक्त मानव स्वभाव और शाश्वत दिव्य के बीच की दूरी को कम करते हैं। यह आशीर्वादों की तलाश और दिव्य हस्तक्षेप के लिए एक प्रवाहक का काम करता है।

दुर्गा माता की भक्ति व्यक्तियों को आंतरिक शक्ति प्रदान करती है। चालीसा उन्हें यह विचार दिलाती है कि सच्ची शक्ति दिव्य शक्तियों के साथ संवाद करने से आती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न:

1.क्या कोई भी दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकता है?

2.क्या दुर्गा चालीसा के पाठ से केवल शारीरिक समस्याएं ही दूर होती हैं?

3.क्या दुर्गा चालीसा का पाठ आत्मा की जागरूकता को बढ़ावा देता है?

4.क्या दुर्गा चालीसा को नियमित रूप से पाठ करने से किसी का धार्मिक आदर्श बदल सकता है?

5.क्या दुर्गा चालीसा का पाठ केवल हिन्दू धर्म के लोग ही कर सकते हैं?

दोस्तो Durga Chalisa lyrics पोस्ट कैसा लगा जरूर कमेंट करे।

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