
Anupama written update In Hindi episode 18th July 2023
Anupama written update In Hindi episode 18th July 2023
मेरी जगह कोई और माँ भी होती गुरु माँ तो वो भी यही करती जो मैंने किया है । सपने और बच्चे के बीच में बच्चे को ही चुनती।चाहे वो पुराने खयालात की माँ हो या फिर मॉडर्न खयालात की ।कोई भी यही करती है जो मैंने किया। माँ साड़ी से सलवार कमीज पे आ सकती है, जींस टी शर्ट पे आ सकती है,मॉडल हो सकती है लेकिन स्वार्थी नहीं हो सकती ममता नहीं छोड़ सकती ।और अगर माँ ने ही ममता छोड़ दिया तो फिर इस दुनिया में रह क्या जाएगा। माँ के बिना तो ये सृष्टि नहीं चल सकती तो फिर गृहस्थी क्या ही चलेगी। क्योंकि माँ की शक्ति में प्रेम मिला होता है। हमारे शास्त्रों में तो शक्ति की उत्पत्ति ही नारी से होती है। महादेव शिव को भी पूर्ण होने के लिए शक्ति का साथ चाहिए होता है।
इस संसार को जब धारण करना था तब भी देवी माँ को आना पड़ा धरती माँ। जो धारण करें वो धरती जो धैर्य रखे वो धरती। कभी -कभी ऐसा लगता है कि हर औरत एक छोटी सी धरती है जो अपने आप में संसार को संभाले हुये है। धारण किए हुये है धैर्य रखे हुये है। माँ है तो संसार है। चाहे वो उसके एक कमरे का घर हो या फिर आधे से लेकर अंत तक की सृष्टि हो। घर हो या संसार हो उजाड़ने के हजारों रास्ते होते हैं लेकिन बसाने का सिर्फ एक होता है। माँ । कोई मुझे समझे ना समझे। और मैं ये जानती हूँ की ये माँ गलत नहीं। पर उम्मीद है की आज नहीं तो कल। आप भी मुझे समझेगी गुरु माँ ।
गुरु माँ ताली बजते हुये बोलती है ।
अनुपमा।, अनुपमा। माँ जगत जननी है ,माँ से जीवन है माँ से सृष्टि है, लेकिन तुम्हारे इस मातृ रूप ने मुझे बर्बाद करके रख दिया है। बर्बाद का मतलब समझती हो मेरी सालों की मेहनत,मेरी ज़िंदगी भर की तपस्या,मेरे हजारों त्याग,मेरी बार बार गिरकर उठने की कोशिश ,मेरा मान ,मेरा सम्मान ,मेरी कला,मेरा अभिमान सब कुछ बर्बाद कर दिया सिर्फ और सिर्फ तुमने। इस माँ ने इस महान माँ ने एक ही झटके में मेरा सब कुछ छीन लिया मुझे तहस नहस करके रख दिया।अरे माँ , तुम हो तो तुम्हारे माँ होने की कीमत मैं क्यों चुकाऊ तुम्हारी माँ होने की सजा मैं क्यों दूँ। तुम्हें महान बनाना था तुम बन गई है,लेकिन मेरा क्या? मेरी कला का क्या, मेरे गुरुकुल का क्या और मैंने मैंने तुम्हें मजबूर नहीं किया था।पहले दिन से मेरे तौर तरीके गुरुकुल की मर्यादा,अनुशासन सब कुछ सिखाया था समझाया था, सिखाया था की नहीं।अनुपमा तुमने मुझे वचन दिया था कि गुरुकुल और कला सबसे पहले होंगे कहा था कि नहीं बचन दिया था की नहीं।फिर भी तुमने मुझे धोखा दे दिया,अरे तुम्हें नहीं उड़ना था तो पहले से कह देती मेरे पंख क्यूँ काट लिए।तुम आसमान से क्या उतारी, मुझे जमीन पर गिरा दिया और ऐसा गिराया कि जिंदगी भर मै उठ नहीं पाऊंगी।तुम्हारी माँ बनने के चक्कर में, मैं कहीं की नहीं रही। पूरी दुनिया मुझ पर हँसेगी।अरे दुनिया ही क्या। मैं खुद की नजरों से गिर गई कि मैंने तुम्हें पहचानने में इतनी बड़ी गलती कैसे कर ली? ऐसे लंगड़े घोड़े पर मैंने जिंदगी भर का दाव कैसा लगा दिया?कभी बेटे की शादी तो कभी माया की बीमारी तो कभी कुछ तो कभी कुछ तुम अनुपमा कभी भी पूरी तरह से गुरुकुल की बन ही नहीं सकी।मैंने तुम्हें इतना बड़ा दर्जा दिया अपना उत्तराधिकारी बनाया ,लेकिन तुम्हें तो बस ही माँ रहना था, इसीलिए मैं बार बार बार बार तुम्हे कहती थी कि भार लेकर मत चलना। किसने रोका।हाँ किसने रोका तुम्हें ।ये तुम्हारे परिवार ने ,तुम्हारे माँ ने है, या फिर तुम्हारे इस पति ने। मुझे पता था मुझे पता था कि तुम्हारा ये पति तुम्हारी कामयाबी के बीच जरूर आएगा कहा था की नहीं, मैंने कभी कहा था की नहीं। (मुझे ऐसा लगता है कि अनुज तुम्हारी उड़ान में बाधा बन सकता है।) जरूर अनुज ने अपनी बेटी का वास्ता देकर तुम्हें रोक लिया होगा।
अनुपमा-
मुझे किसी ने वापस नहीं बुलाया गुरु माँ ।न शाह परिवार ने, न कपाडीयां परिवार ने और मेरे पति ने तो बिल्कुल भी नहीं ।हाँ मेरी बेटी मुझे पुकार रही थी लेकिन वापस आने का फैसला सिर्फ और सिर्फ मेरा था। मैं अपनी बेटी के लिए आई अपनी मर्जी से आई हूँ। गुरु मां किसी के कहने पर या किसी के बुलवाने पर नहीं आयी।वैसे। मेरे वापस आने की एक और वजह थी। माया। माया की मौत की वजह मैं हूँ ।
अनुज- बोलता है नहीं अनुपमा प्लीज।
अनुपमा- नहीं मुझे आज सब कुछ बताना पड़ेगा।
उस टाइम जब माया मुझसे मिलन आयी वो बोली मैं हमेशा हमेशा के लिए चली जाऊँगी। तुम अनुज और छोटी खुश रहना। मुझे माफ कर दो।(तभी अचानक माया की तबीयत खराब हो जाती है अनुपमा बोलती है मैं पानी लेकर आती हूँ जैसे ही अनुपमा कदम बढ़ाती है जाने को तो पीछे से एक ट्रक आती है। ऐसा लगता है की अनुपमा को ट्रक कुचल देगी लेकिन उसी टाइम माया उसे धकेल देती है अनुपमा तो बच जाती है। लेकिन माया नहीं बच पाती ट्रक उसे कुचलते हुये आगे बढ़ जाती है।)
उस दिन अगर माया ने मुझे नहीं बचाया होता तो। आज माया की नहीं मेरी फोटो पे हार होता। किसी और के लिए अपनी जान दे देना। इससे बड़ा त्याग और क्या हो सकता है।जिस माया ने मेरे लिए दुनिया छोड़ दी।क्या मैं उसके बेटी के लिए अपनी बेटी के लिए ,अपने सपने नहीं छोड़ सकती। यह जानते हुए कि मेरी छोटी ने मेरी वजह से अपनी जन्म देने वाली मां खो दी।मैं उसे छोड़कर कैसे चली जाती।उसे रोता बिलखता हुआ छोड़कर कैसे जाती।भले ही माया की मौत मेरी वजह से नहीं हुई है लेकिन मेरे लिए तो हुई है न।और ये दुख न ,मुझे अंदर ही अंदर खाये जा रही है। ऐसे में अगर छोटी को कुछ हो जाता तो मैं मर जाती गुरु माँ । मेरी आत्मा पे इतना बड़ा बोझ था की उस बोझ को लेकर उड़ नही पायी। नहीं उड़ना वापस आना ये सिर्फ और सिर्फ मेरा फैसला था । इसमें किसी और का कोई दोष नहीं है।अब आप चाहे मुझ पर उंगली उठाए या हाथ मुझे सब स्वीकार है। मैं आपकी दोषी हूँ गुरु माँ । आपका फैसला आपकी दी हुई हर सज़ा मंजूर है ।
मेरे पति ने मुझे फ़ोन जरूर किया था। उस समय आप थी सामने लेकिन उन्होंने मुझे मेरे बेटी के बारे में कुछ नहीं बताया था। वो मुझे रोकना नहीं चाहते थे।और मैं भी नहीं रुकना चाहती थी गुरु माँ। मैं आपको दिया हुआ बचन हर हाल में निभाना चाहती थी। कान्हा जी मुझे बार बार बार बार रुकने के इशारे दे रहे थे। मैं वो समझ रही थी लेकिन फिर उन सब को मैं अनदेखा कर रही थी। क्योंकि मैं रुकना नहीं चाहती गुरु माँ । रुकना नहीं चाहती थी ।
लेकिन जब माया सामने आयी ,तो मुझे समझ में आया की मैं कितनी बड़ी गलती करने जा रही हूँ।
लीला – माया…। ये हवाई जहाज में माया क्या कर रही थी ।
अनुपमा- हाँ । माया

Image: Anupama Episode S1E986 Hotstar
Anupama written update
मैं तो हवाई जहाज में बैठ ही चुकी थी ।और मन ही मन छोटी और माया से माफी भी मांग रही थी।की मेरी वजह से मेरी बेटी ने अपनी माँ खो दी। दिल में दर्द था,आत्मा पे बहुत बड़ा बोझ था।रह रह कर छोटी की बहुत याद आ रही थी ।ममता जो है न बड़ा मजबूत धागा है।जब खींचता है तो कोई माँ नहीं रुक पाती।मैं बस वो खिड़की के बाहर देख रही थी। हवाई जहाज बस उड़ने ही वाली थी कि अचानक माया कि आवाज़ सुनाई ।छोटी को तुम्हारी जरूरत है ,अनुपमा ऐसा लगा कि माया बगल के सीट पर बैठी हुई है और मुझे कुछ बोल रही है ।
माया – मत जाओ प्लीज मेरी बेटी के पास वापस लौट जाओ ।
अनुपमा – तुम । तुम यहाँ कैसे
माया – जब तक देवकी अपने संतान को यशोदा माँ के पास छोड़ कर नहीं जाती । तब तक मैं कैसे वापस जा सकती हूँ ।।
अनुपमा- छोटी अपने पापा के पास है तुम जानती हो की अनुज उससे कितना प्यार करता है ,बाकी सब लोग भी उसे देखने के लिए वो ठीक रहेगी ।
माया – एक बच्चे को माँ की सबसे ज्यादा जरूरत होती है और माँ से बेहतर बच्चे को कोई नहीं संभाल सकता।मैं जानती हूँ छोटी के पास सब कुछ है सब कोई है लेकिन उसकी माँ नहीं है।तुम्हें पता है मौत दुनिया के हर रिश्ते मिटा देती है पर माँ और बच्चे का रिश्ता ऐसा रिश्ता है जिसे मौत भी नहीं मिटा पाती।आँखें देखना बंद कर देती है कान सुनना बंद कर देती है। लेकिन बच्चे की आवाज़ माँ को हर दुनिया में सुनाई देती है।अनुपमा तुम तो जानती हो न एक माँ के लिए उसके बच्चे के लिए क्या अहमियत होती है।वो अपने बच्चे के लिए कुछ भी कर सकती।कुर्बानी दे सकती है तो कुर्बानी मांग भी सकती है।आज ये माँ तुमसे वही कुर्बानी मांग रही है अनुपमा।प्लीज मेरे बच्चे की माँ बन जाओ । उसके पास चली जाओ ।
उसे तुम्हारी जरूरत है।उसको तुमसे बेहतर माँ नहीं मिल सकती। मैं अपनी बेटी के साथ जीना चाहती थी। अनुपमा। मैं अपनी बच्ची को बड़ा होते देखना चाहती थी , उसे दुनिया की सारी खुशियां देना चाहती। सोची थी उसे पढ़ाऊँगी लिखाऊंगी।दुनिया भर की सैर कराउगी। उसे काबिल बनाऊंगी।सात अजूबे साथ में देखेंगे।लेकिन किस्मत ने मुझे ये मौका नहीं दिया।छोटी के साथ हजारों सपने देखे थे।पूरी नहीं कर पायी।अनुपमा उसकी माँ नहीं रही न।तो उसके सपने भी अधूरी रह जाएगी।और ऐसा नहीं होना चाहिए।अनुपमा मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ।प्लीज हमारी बच्ची के पास वापस चली जाओ ।नहीं तो मर जाएगी । प्लीज अनुपमा छोटी के पास चली जाओ।प्लीज अनुपमा …प्लीज अनुपमा ।
अनुपमा का घर
बरखा कहती है कि अनुपमा ने एक भूत देखा।यहाँ तो अजीब तरह का घोस्टिंग चल रही है ।अनुपमा की बेटी – बरखा से बात करते हुये मुझे नहीं पता था की मम्मी झूठ भी बोलती है ।
अनुपमा- माया की बातों ने मुझे झकझोर कर रख दिया था । ऐसा लग रहा रहा था की मेरे अंदर कोई तूफान सा आ गया है । माया की बातें छोटी की चीखे मेरी कानों में गूंज रही थी। मम्मी मुझे छोड़ कर मत जाओ प्लीज मम्मी। प्लीज अनुपमा मेरी बेटी के पास चली जाओ उसे तुमसे बेहतर माँ नहीं मिल सकती।
हवाईजहाज के अंदर – अनुपमा नहीं नहीं मैं बच्चे को छोड़ कर नहीं जा सकती। मुझे बाहर निकालो। रोको रोको मुझे बाहर निकालो ।अनुपमा दौड़ती हुई गेट के पास जाती है मुझे जाना है।खोलिए न इसे। इसे खोलिए मुझे जाना है। नहीं जा सकती मैं अमेरिका नहीं जा सकती। मुझे मेरे बच्चे के पास जाना है ।
अनुपमा का घर
अनुपमा – नहीं जानती।नहीं जानती की मेरी अंतरात्मा की आवाज़ थी की या माया सच में मेरे सामने आयी थी ।लेकिन वो मुझे बार बार वापस छोटी के पास जाने के लिए कह रही थी।लौट जाने के लिए कह रही थी और एक माँ होकर मैं दूसरी माँ की बात मैं कैसे नहीं सुनती ।