
Anupama written update In Hindi episode 17th July 2023
Anupama written update 17th July 2023:
अनुज और अनुपमा अपने कमरे मे बैठे है एक दूसरे से बातें कर रहे है ।
अनुपमा – आज शिष्या अनुपमा से माँ अनुपमा भारी पर गयी। गुरु माँ को कब से फोन लगाने की कोशिश कर रही रहीं हूँ ,लेकिन वो फोन नहीं उठा रही है । मै जानती हूँ वो मुझसे बहुत नाराज़ है । बहुत नाराज़ है …गुरु माँ को मै क्या मुंह दिखाऊँगी मै किस मुंह से उनसे माफी मागूंगी । मेरी तो उनके सामने जाने की हिम्मत भी नहीं हो रही है ।
कभी कभी ज़िंदगी मे ऐसे मौके आते है जब आपको फैसले चुटकिओ मे लेने पड़ते है । फटा फटा कुछ सेकेंड मे लेने पड़ते है । तब दिल और दिमाग के बीच जंग हो रही होती है ।और मैंने दिल को चुना। उन कुछ ही पलों मे माँ और शिष्या मे से मुझे किसी एक को ही चुनना था तो मैंने माँ को चुना । और मै क्या करती , क्या कर सकती थी बताइये न बार -बार मुझे भगवान मुझे इशारे दे रहे थे की रुक जाओ रुक जाओ अनुपमा॥ मै उन इशारो को अनदेखा करके आगे बढ़ रही थी लेकिन मै माया को अनदेखा कैसे कर देती । उसकी बातों को अनसुना कैसे कर देती । ये माँ लौटी है अपनी बेटी के लिए । माया के लिए ।
मै अपने आप को संभाल लूँगी अच्छी तरह से छोटी को भी संभाल लूँगी । आ गयी हूँ तो लेकिन गुरु माँ उन्हे कैसे समझाऊंगी ।
दूसरी ओर गुरु माँ बहुत गुस्से मै है , उसका बेटा उन्हे कॉल करता है-
अम्मा आप ठीक है न ,मेरा फोन क्यूँ नहीं उठा रही है । अनुपमा अहमदाबाद के लिए निकल गयी थी अबतक तो पहुँच भी गयी होगी । लेकिन आप है कहाँ ठीक है न अम्मा फोन उठाये प्लीज मुझसे बात कीजिये । फोन रिकॉर्डिंग सुन कर मालती फोन रख देती है ।
मालती मन मे सोचती है – गुरु का आशीर्वाद सबसे उपर तो गुरु का श्राप उससे भी उपर ।
अनुपमा का घर-
असमय बिजली कटौती देखकर शाह चिंतित लीला का कहना है कि ऐसा लग रहा है कि तूफान आने वाला है। अनुपमा अनुज के साथ अपने कमरे से नीचे आती है।
यहाँ सभी लोग मौजूद है । अनुपमा सभी से पूछती है छोटी कहा है । पाखी बोलती है की वो सो रही है । श्रद्धा आंटी है उसके पास । वनराज अनुपमा से कहता है कि वे उसके लिए चिंतित हैं और पूछते हैं कि वह कैसे वापस आई। प्लीज बताओ की वापस कैसे आ गयी । अनुपमा मायूस नज़ारो से वनराज को देखती है । किंजल कहती है कि अगर वह बताना नहीं चाहती तो वे वहां से चले जाएंगे। काव्या कहती है कि तुम्हें सोचने के लिए कुछ समय चाहिए तो ले लो ।
अनुपमा कहती है कि वह जानती है कि आप सभी जानना चाहते हैं और आप सभी को जानने का अधिकार है और अपनी कहानी शुरू करती है। तभी अचानक उसके दरवाजे पर गुरु माँ आ धमकती है । जैसे ही गुरु माँ अंदर आती है अनुपमा झट से जाकर उनके पैरौ पर गिर जाती है । गुरु माँ की पैर पकड़ बोलती है,मुझे माफ़ कर दो गुरु माँ मै जानती हूँ कि मैंने जो किया है क्षमा के लायक नहीं हूँ । मेरी वजह से आपको बहुत तकलीफ हुई है । रोते हुये बोलती जा रही है …मैंने आपको बहूत चोट दी है गुरु माँ। इसीलिए आप जो सजा देंगी मुझे स्वीकार है , आपकी सज़ा और आपका गुस्सा सब सर माथे ।

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Anupama written update In Hindi episode 17th July 2023
गुरु माँ अपने पैरो से से अनुपमा को उपर उठाती है ॥और अपने गले लगा कर हग करती है । और कुछ कि समय बाद उसे अपने गले से हटा कर जोरदार थप्पर जड़ देती है । वहाँ मौजूद सभी लोग यह देख कर हैरान हो जाते है ।
तभी गुस्से से चिल्लाते हुये अनुज बोलता है मालती देवी जी आपको हिम्मत कैसे हुई मेरी पत्नी पे हाथ उठाने की। तभी अनुपमा उसकीओर हाथ जोड़ इशारों मे कहती है की वह इतना गुस्सा न करे शांत हो जाओ । अनुज विवश हो जात है और उसे शांत होना परता है ।
गुरु माँ – अब न गुरु का रिस्ता रहा है न माँ । तुम्हें गुरु माँ कहने की हिम्मत भी नहीं होनी चाहिए । तू मेरी सबसे प्रिय शिष्या थी अनुपमा तेरे लिए मन मे कितना प्रेम था । तेरे धोखा देने के बाद भी वो प्रेम बचा रहा । तुझे पैर छूने दिये तुझे गले लगया ये प्रेम की आखरी दो बूंद थी अनुपमा। अब मन मे कोई प्रेम नही बचा है ।अब मन खाली हो गया है। उसका सबूत ये थप्पर था । तेरा पैर छूना गले लगाना इससे स्नेह खतम । और थप्पर से नफरत की शुरुआत। और एक बात याद रखना आज तूने आखरी बार मेरे पैर छूए है । आज तक तू श्रद्धा से मेरी पैर छूती थी और अब मै अपनी शक्ति से तुझे अपने पैरो पर गिराउगी। ये मेरा वादा है अनुपमा ।
अनुज – हम आपकी नाराजगी समझते लेकिन मेरी पत्नी अनु से बात करने का कोई ढंग नहीं होता । फिर से अनुपमा अनुज की तरफ मुड़ कर उसे इशारा करती है वो इस तरह से बात न करे । नहीं अनु ये गलत है तो गलत है ।
वनराज – अनुज सही कह रहा है अनुपमा ये तुम्हारी गुरु माँ है लेकिन तुम भी कोई दूध पीती बच्ची नहीं हो कोई गलती हुई ओर टीचर ने उठा कर थप्पर मार दिया । लीला – अनुपमा को थप्पर माराने वाली ये होती कौन है ।अनुज, वनराज और लीला अनुपमा को थप्पड़ मारने के लिए गुरुमाँ से भिड़ते हैं।
अनुपमा उनसे हस्तक्षेप न करने के लिए कहती है क्योंकि यह उसके और उसके गुरु के बीच का मामला है। वो कहती है आप सभी से हाथजोड़ कर विनती करती हूँ कि मेरे और गुरु माँ के बीच कोई नहीं बोलेगा ।
अनुपमा गुरु मे से -गुरु माँ आपने मुझे थप्पर मारा गलत किया । बहुत गलत किया आपने आपको तो इससे कई गुना ज्यादा करना चाहिए था । जो मैंने किया है उसकी सज़ा बस एक थप्पर नहीं हो सकता । आपका गुस्सा आपकी दी हुई हर सज़ा सर माथे पे गुरु माँ । आप जो भी सज़ा देंगी स्वीकार है लेकिन बस उससे पहले एक मौका चाहिए , आपके सामने अपनी मन की बात रखने का । मै आपकी आँखों मे अपने लिए नफरत देख सकती हूँ पर ये दर्द नहीं देख सकती जो मैंने आपको दिया है । गुरु माँ एक मौका दे दीजिए अपने मन कि बातों को रखने का । बस एक मौका गुरु माँ । गुरु माँ अपना सर हिला कर उसे हाँ कहती है बोलो । बोलो अनुपमा तूने मुझे धोखा क्यूँ दिया बोलो ।
अनुपमा – क्यूंकी कि मै एक माँ हूँ। तन मन से माँ हूँ आस्तित्व के हर कण कण से माँ हूँ । मन के हर एक घाव से माँ हूँ ,मन के हर स्वभाव से माँ हूँ । हर आशा निराशा से माँ हूँ । मै तो हर परिभाषा से माँ हूँ । ये सच है गुरु माँ आपकी शिष्या ने जो किया वो गलत है ,पर ये भी सच है कि इस माँ ने गलती नहीं की है । आपके शिष्या के मन मे दुख है तकलीफ पछतावा है अफसोश है लेकिन इस माँ के मन मे कोई अफसोस नहीं है ,गर्व है । आपने जो कुछ भी किया उसका आभार ज़िंदगी भर रहेगा ।आपने उस वक्त संभाल रास्ता दिखाया जब मै बिलकुल टूट गयी थी । गुरु माँ । आपने मुझे इतना प्यार इतना सम्मान दिया । मै भी आगे बढ़ाना चाहती थी अपने सपने पूरे करना चाहती थी । हर औरत की तरह मै आगे बढ़ाना चाहती थी ।
सब कुछ पीछे छोर दिया था मैंने पर माँ होना पीछे नहीं छोड़ पायी । अपनी बेटी की आवाज़ को सुनना नहीं छोड़ पायी। एक औरत गलत हुई ताकि एक माँ गलत न हो । माँ बनाने के बाद से सिर्फ शरीर मे बदलाव नहीं होते एक औरत की पूरी सोच उसका मन उसकी आत्मा उसका पूरा का पूरा अस्तित्व ही बादल जाता है । और वो जो पहले रही है माँ बनाने के बाद वैसे नहीं रहती हैं।
ये बात सारे भले ही न समझे लेकिन हर एक माँ समझती है । चाहे वो चार दिवारी मे रहने वाली माँ हो या फिर किसी बड़ी कंपनी की सीईओ माँ हो या फिर कोई देश को चलाने वाली।कोई बड़ी मंत्री हो या फिर इस शृष्टि को बनाने वाली खुद देवी माँ ही क्यू न हो माँ तो माँ ही होती है ,और बात जब औलाद की आती है तो हर माँ एक जैसी हो जाती है ।
क्यूँ की माँ तो माँ बनकर ही सोचेंगी न। सबसे पहले माँ अपने बच्चे के बारे मे सोचेंगी ।क्यूँकी माँ के प्राण निकाल सकते है लेकिन आखरी सांश तक उसके मन से ममता नहीं निकलेगी।
आपकी काही हुई हर बात याद है गुरु माँ पहले दिन से लेकर आज तक हर एक शब्द याद है आपकी दी हुई हर शिक्षा याद है गुरु माँ मै कुछ भी भूली नहीं हूँ ।
आप भी एक माँ है फर्क बस इतना है की आपका बच्चा आपके सामने नहीं है । क्षमा गुरु माँ मै बस इतना कर रही हूँ आपका बच्चा आपके सामने होता तो उसकी पुकार सुनकर मुझसे पहले आपके कदम पीछे आ गए होते क्यूंकी आप अपने आप को जितना कठोर दिखती है गुरु माँ आपका मन उतना ही कोमल है । क्यूंकी आप भी एक माँ है ।
आपने कभी दिखाया नहीं कभी जताया नहीं लेकिन मैंने महसूस किया है इन्हे की आपके अंदर भी प्यार है ममता है । किसी को तकलीफ मे देखकर आपको भी तकलीफ होती है गुरु माँ।
उस दिन जब मेरे पैरों मे चोट लगी थी तो आप भी तो तरप उठी थी ।क्यूंकी आपके अंदर भी माँ है गुरु माँ।मै ये नहीं कह रही की माँ ऐसी होनी चाहिए माँ वैसी होनी चाहिए माँ को ये करना चाहिए माँ को वो करना चाहिए। मै बस इतना कह रही हूँ की मै सिर्फ माँ हूँ और मेरे लिए सबसे पहले मेरे बच्चे आते है । अब माँ बन चुकी हूँ तो माँ ही रहूँगी।
सबसे पहले सबसे ज्यादा । माँ ही रहूँगी । आज कल के जवाने मे माँ से पहले बच्चो के लिए दस दस चिज़े आती हो लेकिन माँ के लिए सबसे पहले बच्चे ही आते है ।
माँ अपने बच्चे के लिए क्या कुछ नहीं कर सकती है मतलब अपने मायके मे अपने माँ के पास एक दिन एक्सट्रा रहना छोड़ देती है , अपने साहेलिओ के साथ गुमना फिरना छोड़ देती है, सामने आसमान हो पीठ मे पंख लगे हो तो भी आसमान मे उड़ना छोड़ देती है । मै भी अपनी छोटी के लिए उसकी जो हालत थी न ऐसे मे कोई भी माँ होती तो नहीं जा सकती गुरु माँ । एक माँ चाहे खुद भूखी रह जाए बच्चो को कभी भूखी नहीं रखती । अपना जन्मदिन भले ही भूल जाए लेकिन बच्चों के जन्मदिन के तीन चार महिना पहले से तैयारी शुरू कर देती हैं।मै जानती हूँ बहुत सारे लोग ऐसे होंगे की कहेंगे की अरे ये तो बहुत बेअक्ल है इतना बड़ा मौका हाथ से जाने दिया ।इसे तो ये मौका मिलना ही नहीं चाहिए था ये इस मौके लायक ही नहीं है ।अमेरिका अमेरिका कर रही थी और फिर गयी नहीं । जिसे जो कहना है कहे जिसे जो लगता है लगे । मेरे लिए मेरी छोटी खुश है ठीक है वही मायने रखता है मेरे लिए । लोग क्या कहेंगे क्या सोचेंगे इससे मुझे कभी न फर्क पारा है न परेगा ।
मतलब आप ही जरा सोचिए न गुरु माँ मै अमेरिका जा कर हंस हंस कर फोटो खिचाऊ interviews दूँ बातें करू और यहाँ सात समुंदर मेरी बेटी मेरे लिए चीखती रहे चिल्लाती रहे रोती रहे तड़पती रहे नहीं होगा मुझसे । तालियों की गरगराहट सुनने के लिए मै अपनी बेटी की रोने की आवाज़ उसकी चीखे सुनना बंद कर दूँ नहीं होगा मुझसे गुरु माँ अपने सपने की अपने खुशिओं की इतनी बड़ी कीमत नहीं दे सकती।